प्र. रजिस्ट्रार
चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सा व्यवसाय के क्षेत्र में सह चिकित्सा कर्मियों का महत्वपूर्ण स्थान है। किसी भी राष्ट्र का उत्थान उसके नागरिकों के उत्तम चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सक अपितु उनके सहयोगी सह चिकित्सा कर्मियों की शैक्षणिक एवं व्यवसायिक दक्षता भी उत्तम होना आवश्यक है।
मध्यप्रदेश शासन ने इस आवश्यकता की पूर्ति हेतु "मध्यप्रदेश -चिकित्सा परिषद अधिनियम' प्रभावशील कर सह चिकित्सीय संस्थाओं के शैक्षणिक स्तर एवं सह चिकित्सा व्यवसाय की कार्य दक्षता के स्तर में उन्नयन हेतु अधिनियम के तहत नियम व अधिनियम लागू कर सह चिकित्सा शिक्षा एवं व्यवसाय को व्यवस्थित करने का कार्य किया हैं।
चेयरमैन (एच्.व्ही. एफ़)
हम (एचवी फाउंडेशन फॉर पैरामेडिकल एजुकेशन) दृढ़ता से मानते हैं कि हमारे देश का विकास पेशेवर रूप से शिक्षित पुरुष / महिला पर निर्भर है; शिक्षा सामाजिक मूल्यांकन की रीढ़ है।
हमारा मानना है कि आधुनिक पैरामेडिकल एक गतिशील, चिकित्सीय और शिक्षाप्रद प्रक्रिया एक व्यक्ति समुदाय है। हम छात्रों को प्रशिक्षित करने और शिक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, इसलिए वे स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होने के लिए क्षमता विकसित कर सकते हैं और गर्व महसूस कर सकते हैं।
जिला पंचायत सदस्य
सह-चिकित्सीय (पैरामेडिकल) कर्मी जो अभी तक उपेक्षित थे, इस संस्था के गाम से मध्यप्रदेश शासन ने उनके उत्थान के लिए एक सार्थक प्रयास किया है। सह-चिकित्सा कर्मी वे कर्मी है जो चिकित्सा व्यवसाय एवं शिक्षण में मदद करते हैं। इन कर्मियों के लिये आज तक न कोई विधान था, और न ही कोई वैधानिक संस्था थी जिससे इनके बारे में नियंत्रण किया जा सके।
मध्यप्रदेश शासन ने पहली बार देश में एवं शायद विश्व में इन कर्मियों के लिए एक वैधानिक संस्था का प्रादुर्भाव किया है। इस संस्था के द्वारा प्रदेश में पठन-पाठन में एकरूपता, शिक्षण संस्थाओं में एक जैसा दिशा-निर्देश, पंजीयन एवं कोड ऑफ एथिक्स निर्धारण किया गया।
कहने का तात्पर्य यह है कि मध्यप्रदेश सह-चिकित्सीय परिषद (मध्यप्रदेश पैरामेडिकल काउंसिल) सह चिकित्सा विषयों (पैरामेडिकल के लिए बह सब कर्तव्य निभायेगी जो भारतीय चिकित्सा परिषद (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) चिकित्सा के क्षेत्र में करती है। म.प्र. में सह चिकित्सीय की एवं संस्थाओं के लिए यह एक अच्छी पहल है।